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पथिक मानस आश्रम पिपरडुला में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया हनुमान प्रकटोत्सव

जाने वर्ष में दो बार हनुमान जयंती मनाने के पीछे का रहस्य

-शुभम दुबे

सरसींवा – आज 23.04.2024 मंगलवार को सरसींवा अंचल के विभिन्न मंदिरों में हनुमान प्रकटोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया गया । समीपस्थ श्री पथिक मानस आश्रम हनुमान मंदिर में संकट मोचन भगवान हनुमान जी का प्रकटोत्सव बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर पथिक मानस आश्रम में सुबह से लेकर देर रात्रि तक श्रद्धालु भक्तों का तांता लगा रहा । संकट मोचन भगवान श्री हनुमान जी के प्रकटोत्सव की तैयारी बड़े धूम धाम से की गई वही मंदिर में विशेष साज सज्जा की गई जो मुख्य आकर्षण का केन्द्र रहा । जहाँ मंदिर प्रांगण में दिन भर हनुमान चालीसा और सुन्दरकाण्ड के पाठ के साथ साथ प्रसादी और भण्डारे का आयोजन भी किया गया । मंदिर के मुख्य पुजारी महंत श्री रामकुमार दास जी ने बताया कि संकटमोचन हनुमान जी चारों युगों में पृथ्वी पर हैं। शास्त्रों के अनुसार हनुमान जी चिरंजीवी है।

वर्ष में दो बार हनुमान जन्मोत्सव मनाने के पीछे का रहस्य

वही पिपरडुला के पंडित राजेन्द्र प्रसाद दुबे ने भगवान श्री हनुमान जी के जन्मोत्सव के बारे में कहा कि भगवान हनुमान जी के जन्म की वर्ष में दो तिथियों को लेकर हमेशा से लोगों के मन में संसय बना होता है की आखिर सही तिथि कौन सी है इस दुविधा को दूर करते हुए श्री दुबे ने विस्तार से इसके पीछे के रहस्य का वर्णन करते हुए बताया कि ग्रंथों के अनुसार, एक बार भूख से बेहाल बाल हनुमान जी ने भोजन की लालसा में फल समझकर सूर्यदेव को निगल लिया था, जब इंद्रदेव ने उन्हें भगवान सूर्य को मुख से निकालने को कहा, तो उन्होंने मना कर दिया, जिसके चलते देवराज इंद्र क्रोध में आ गए और आवेश में आकर उन्होंने हनुमान जी पर वज्र से प्रहार कर दिया, जिससे वे मूर्छित हो गए। इस वाकये को देख पवनदेव अत्यंत क्रोधित हो गए और उन्होंने पूरे जगत से वायु का प्रवाह रोक दिया जिससे सारा जगत संकट में आ गया। तब ब्रह्मा जी और अन्य देवताओं ने अंजनी पुत्र को दूसरा जीवन प्रदान किया और अपनी-अपनी कुछ दिव्य शक्तियां भी दी। यह घटना चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि के दौरान हुई थी, तभी से इस दिन को भी हनुमान जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाने लगा।

वही पौराणिक कथाओं के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को वीर हनुमान का जन्म मां अंजनी के गर्भ से हुआ था। कहा जाता है उनके जन्म के समय कई प्रकार के शुभ संयोग बने थे, जिनका एक साथ बनना बेहद ही दुर्लभ माना जाता है। बस यही कारण है कि वर्ष में दोनों तिथियों का विशेष महत्व है और इसी लिए वर्ष में दो बार हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है ।

– हनुमान जन्मोत्सव पूजा का विशेष महत्व
हिंदू धर्म में शास्त्रों में बताया गया है कि हनुमान जी की उपासना करने से रोग-दोष, कलह और सभी प्रकार की बाधाएं दूर हो जाती हैं । शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि हनुमान जी अष्ट चिरंजीवियों में से एक हैं और आज भी धरती पर वास करते हैं । धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो व्यक्ति पूर्ण श्रद्धा भाव से संकट मोचन हनुमान जी की उपासना करता है और उन्हें स्मरण करता है उन्हें जीवन में सभी प्रकार की सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है और संकट मोचन उनके जीवन से सारे संकट हर लेते है ।

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