मिडिल स्कूल केड़ार में गुरु पूर्णिमा पर्व:एक श्रद्धांजलि गुरूओं के प्रति का हुआ आयोजन।

बिलाईगढ़– छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग एवं जिला शिक्षा अधिकारी सारंगढ़-बिलाईगढ़ के निर्देशानुसार विकास खण्ड सारंगढ़ के समीप शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय केड़ार में गुरु पूर्णिमा पर्व बड़े धूमधाम से मनाया गया। सर्व प्रथम मां सरस्वती की पूजा अर्चना कर दीप प्रज्वलित व माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। बच्चों ने सरस्वती वंदना की प्रस्तुति दी। विद्यार्थियों ने गुरूजनों का स्वागत सत्कार किया और गीत कविता प्रस्तुत किया। विद्यालय के प्रधान पाठक हेमंत कुमार साहू ने अपने उद्बोधन में गुरु की महिमा पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि -भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत में गुरु का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है। गुरु पूर्णिमा एक ऐसा पर्व है जो गुरु शिष्य परम्परा की महत्ता को दर्शाता है। यह पर्व विशेष रूप से शिक्षा, ज्ञान और मार्गदर्शन के क्षेत्र में गुरु के योगदान को मान्यता देने और सम्मानित करने का एक अवसर है। गुरु पूर्णिमा का यह पावन पर्व प्रतिवर्ष आषाढ़ महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह पर्व महर्षि वेदव्यास के जन्म दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। महर्षि वेदव्यास को चारों वेदों के संकलन कर्ता और महाभारत जैसे महाकाव्य के रचयिता के रूप में सम्मानित किया जाता है। इस लिए इस दिन को “व्यास पूर्णिमा” भी कहा जाता है। प्रधानाचार्य हेमंत कुमार साहू ने आगे गुरु की भूमिका का वर्णन करते हुए कहा कि संस्कृत में ‘गुरू’ का अर्थ होता है -अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला।’ गुरु शिष्य को न केवल शैक्षिक ज्ञान प्रदान करते हैं, बल्कि उन्हें जीवन के विभिन्न पहलुओं में मार्गदर्शन भी करते हैं। एक सच्चे गुरु का उद्देश्य शिष्य के भीतर निहित संभावनाओं को उजागर करना और उन्हें उनके लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करना होता है।”आध्यात्मिक दृष्टिकोण को उजागर करते हुए उन्होंने कहा कि -आध्यात्मिक दृष्टि से भी गुरु पूर्णिमा का महत्व अत्यधिक है। विभिन्न आध्यात्मिक केन्द्रों में इस दिन विशेष ध्यान, प्रवचन और सत्संग का आयोजन होता है। भक्त जन अपने आध्यात्मिक गुरु के चरणों में बैठकर ज्ञान अर्जित करते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।”गरति सिंचति कर्णयोर्ज्ञानामृतम् इति गुरु:”जो शिष्य के कानों में ज्ञान रूपी अमृत का सिंचन करता है,वह गुरु है।”गिरति अज्ञानान्धकारम् इति गुरु:” जो अपने सदुपदेशों के माध्यम से शिष्य के अज्ञान रूपी अंधकार को नष्ट कर देता है,वह गुरु है। गुरु पूर्णिमा पर श्री गुरु को प्रणाम! अपने उद्बोधन के अंत में प्रधानाध्यापक हेमंत कुमार साहू ने निष्कर्ष रूप में बताया कि गुरु पूर्णिमा न केवल एक पर्व है, बल्कि यह गुरु- शिष्य संबंध की गहनता और उसकी महत्वपूर्णता को समझने का एक अवसर भी है। यह दिन हमें हमारे जीवन में गुरूओं के योगदान की याद दिलाता है और हमें उनके प्रति आभार व्यक्त करने के लिए प्रेरित करता है। गुरु का आशीर्वाद ही शिष्य को उसके जीवन की उच्चतम ऊंचाइयों तक पहुंचाने में सहायक होता है। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर,हम सभी को अपने गुरूओं का सम्मान करना चाहिए और उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलने का संकल्प लेना चाहिए। यही इस पर्व की सच्ची भावना है।” मंच संचालन सुनील कुमार कश्यप शिक्षक ने किया। आभार व्यक्त रामप्यारा जायसवाल ने किया। सबको प्रसाद वितरण किया गया। इस पुनीत अवसर पर प्रमुख रूप से प्रधान पाठक हेमंत कुमार साहू, शिक्षक सुरेन्द्र सिंह नेताम, शिक्षक मनोज कुमार नीलम, शिक्षक सुनील कुमार कश्यप, प्राथमिक शाला प्रधान पाठक रामप्यारा जायसवाल, सहायक शिक्षक चंद्रभान सिंह कर्ष, सहायक शिक्षक ममता साहू एवं विद्यालय के छात्र -छात्रायें बड़ी संख्या में उपस्थित थे।