छत्तीसगढ़

हॉस्टल बना अधीक्षकों के अवैध पैसे कमाने का जरिया।

बिलाईगढ़ – वैसे तो हॉस्टल बच्चो की शिक्षा की बुन्यादी सुविधाएं मानी जाति है जिसमे गरीब परिवार के बच्चों के लिए सरकार लाखो करोडो रुपये बच्चों की सुविधाएं के लिए हॉस्टल मे रहने खाने की सुविधाओं मे खर्च कर रही है लेकिन सारंगढ़ – बिलाईगढ़ जिला मे बच्चों पर कम और विभाग के अधिकारी कर्मचारी खुद की जेब मे अधिक कमाई चल रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार आपको बता दे आदिम जाति कल्याण विभाग के अफसरों की मेहरबानी से बिलाईगढ़ विकासखंड के सभी शासकीय अनुसूचित जाति बालक आश्रम एवं छात्रावास व अनुसूचित जन जाति बालिका छात्रावास में भी सिर्फ कागजों में संचालित हो रहा है।

छात्रावास अधीक्षक 50 सीटर छात्रावास में छात्र की उपस्थिति रजिस्टर में सभी सीटें फुल किए है, लेकिन हकीकत में 50 छात्र मौजूद नहीं रहता है। और वही कई बच्चे है जिनका नाम हॉस्टल मे ओ स्कूल जाते है लेकिन हॉस्टल मे नही रहते ऐसे हीं कई तरफ की फर्जीवाडा कर हॉस्टल अधीक्षक बिल निकाल रहे है इतना हीं नही छात्रावास अधीक्षक ड्यूटी करने के बजाय अपने निजी कामों में ब्यस्त रहते है आश्रम व छात्रावास के सभी रजिस्टर ताले में बंद करके अधीक्षक लगातार नदारद रहतें है। यहीं नहीं छात्रावास में अधीक्षक रात में उपस्थित नहीं रहतें जबकि छात्रावास अधीक्षक को रात को छात्रावास में ही रहना है। और कभी विभाग या जिला के उच्च अधिकारियो का विजिट या निरिक्षण करने जाते है उसकी जानकारी विभाग के अधिकारी कर्मचारी से लेकर अधीक्षक तक को पहले से रहते है विजिट के दिन सभी बच्चो को उपस्थित रख लिया जाता है और और अधिकारी गुमराह हो कर लौट जाते है अधीक्षक एक पखवाड़े के अंतराल में महीने में सिर्फ दो से 3 बार छात्रावास रजिस्टर में छात्रों की हाजरी, नाश्ता, भोजन का बिल तैयार करने के लिए आते हैं। आगे आपको हमारे मीडिया टीम की ग्राउंड रिपोर्ट किस-किस छात्रावास में यह स्थिति बना हुआ है यह आगे खबर के माध्यम से देखने को मिलेगा।

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